Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana Secrets
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जब आपको उस डर का कारण पता है तो उसे ही दूर करने की कोशिश कीजिये ना. आपको इस बात का तो पता ही रहता है की गलती आपकी है या फिर सामने वाले की?
अंत में, एक कुत्ते के नजदीक जाएँ और थोड़ी देर के लिए उसके साथ खेलें।
मेरे बच्चों का क्या होगा वगैरह वगैरह तो ये बातें उसके दिल में घर कर लेती हैं.
आप सकारात्मक दृष्टिकोण से अलग अलग चिंताओं और डर को दूर कर सकते हैं।
दिन ब दिन आपकी घबराहट बढती ही जा रही है तो ऐसे दिन बिताने में क्या फायदा है.
डर को दूर करने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप अपने डर को पहचानें और जान लें कि वास्तव में क्या चीज है जिससे आप डरते हैं। जब आप डर की स्थिति में हों, तो उस वक्त आपके दिमाग में क्या चीजें और विचार चल रहे हैं, कैसी तस्वीरें बन रही हैं, उन पर ध्यान दें। क्या आप सच में डरे हुए हैं या यह केवल एक बाहरी प्रेशर है। अपने इनर स्पेस का एक ऑब्ज़र्वर बनें।
भले इस तरह के माहौल में भय की प्रतिक्रिया स्वाभाविक है, लेकिन कुछ मौकों से बचना मुश्किल हो सकता है। इस बात को समझें कि आपका डर उचित है, लेकिन इसके बावजूद भी आपको इससे निपटना होगा।
डर एक ऐसी चीज है जिसे जितना पाले, पनाह देंगे, हमें उतना ही अपने चुंगल click here में समेटने लगता हैं। वक्त रहते यदि इस डर का इलाज नहीं किया जाए तो व्यक्ति धीरे-धीरे लेकिन बहुत छोटी छोटी बातों से भी घबरा कर चिंतित परेशान रहने लगता है, जैसे किसी बहुत बड़ी समस्या ने उसे घेर लिया है।
ज्यादा डर लगने से होता यह हैं मन में ऐसे विचार और घटनाएं आने लगती हैं, मन ऐसी घटनाओं की कलपना करने लगता हैं जो वास्तव में घटित ही नहीं हुईं होती हैं। यहीं डर लगने का मूल और असली कारण होता हैं अर्थात् डर लगने से आप और डरते हैं।
अपने डर को जुनून की भावनाओं के स्रोत में बदल दें: हम जिस चीज से डरते हैं, वह खुशी और जुनून की भावनाओं को भी पैदा कर सकती है। इसलिए, कुछ लोग छुट्टियों में एक्सट्रीम स्पोर्ट्स, हॉरर मूवी और शार्क के साथ में स्विमिंग को पसंद करते हैं। अपने डर को सकारात्मक तरीके से बदलने की कोशिश करें और उस एडवेंचर को स्वीकार करें जो इसमें आपको मिलता है। जब आप डर को ऊर्जा के स्रोत के रूप में देखना शुरू करते हैं, तो आप इसे अपने जीवन में भी शामिल कर सकते हैं।
डरना कोई बीमारी, अभिशाप या मानसिक रोग नहीं हैं, यकीनन जिस तरह आज लोग डर के विषय में अपनी अवधारणाएं बनाए हैं यदि कोई व्यक्ति बहुत जल्दी डर जाता है तो उसे कमजोर निर्बल जैसी भावनाओं से देखा जाता है मगर वास्तव में डर लगना हमारे लिए फायदेमंद और जरूरी होता है
अब जो आदमी सालों से अपने घर में दुबक कर बैठा है, जो कभी भी डर के पास ही नहीं गया या जिसने कभी भी कोई ऐसा काम करने की हिम्मत ही नहीं जुटाई, वो कैसे निर्भीक रह सकता है?
सामाजिक परिस्थितियों में frozen हो जाते हैं
आप को थोड़ा भय होना एक सहज बात है। जिस प्रकार भोजन में थोड़े नमक की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार आदर्शपूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए जीवन में थोड़ा भय होना आवश्यक है। कल्पना करें कि यदि किसी भी व्यक्ति को किसी भी बात का भय न हो, तो क्या होगा?